नारी जीवन
आज फिर से मैं तन्हा हूँ ,
आज फिर से ये दिल हताश है ???
पता नहीं क्यों. . ???
शायद आज किसी ने कुछ बोला नहीं ,
इसलिए दिल उदाश है। ....
जो मेरे अपने हैं उन्हें मेरी फिक्र है ,
जिन्हें मैं अपना मानकर आयी हूँ वो उनके अपनों में खुश हैं।
ये अपने और बेगाने का चक्कर पता नहीं कहाँ से आया ,,
यदि आया है तो इसमें भी होगा कुछ नया।
मेरे अपने सोचते हैं कि वो अपने घर में अपनों के साथ खुश है,
और मैं अभी तक पता लगाने में असमर्थ हूँ कि कौन बेगाने और कौन अपने खास हैं।
नारी जीवन भी बड़ा अजीब है ,
खुश नहीं भी हो तो भी माँ पूछे तो बोलना पड़ता है .......
माँ मेरा जीवन बहुत खुशहाल है......
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