नारी जीवन
मैंने खुद से कुछ लिखने की कोशिश की है कोई ग़लतीहुई हो तोमाफी चाहती हूँ.........
माँ की कोख से लेकर कब्र तक का ये तेरा संघर्ष कितना निराला है।
लेकिन तू आज की अबला नहीं तू आज की वीरबाला है।
जन्म लिया बड़ी हुयी नाम पिता का ऊँचा किया
लेकिन जब वक्त आया हक़ का तो बेटे को हक़दार किया।
फिर भी बिना हक़ के तूने दो घरों का मान बढ़ाया है...
तू आज की अबला नहीं तू आज की वीरबाला है।
बेटी बनी , बहन बनी, और बनी तू मासी,
और वक्त आया तो बीवी बनी , बहु बनी ,माँ बनी और बनी दादी नानी।
बेटी से नानी तक का तेरा ये सफर कितना निराला होता है,
लेकिन जब बात आती है खुद की ख़ुशी की तो हर रिश्ता खोखला होता है।
हर किसी की ख़ुशी में ग़म में तू सरिक हुयी हर किसीको मुसीबतों से बचाया है,
लेकिन तेरी ख़ुशी , और ग़म और मुसीबतों का हर किसी ने फायदा उठाया है।
लेकिन तू निडर होकर आगे बढ़ी और हर मुसीबत को पछाड़ा है ,
क्यूंकि तू अबला नहीं आज की वीरबाला है। ...